जब मैं रोता हुआ आया तो वो हंस रहीं थीं, अपने गर्भ मे मेरा भविष्य रच रहीं थीं, मेरी छोटी सी चोट उसको घाव लगती है, माँ मेरी फिक्र इतनी करती हैं, जब धूप लगती थी तो अंचल मे छुपा लेती थीं, मुझे तकलीफ ना हो, इसलिए अपने दर्द दबा लेतीं थीं, एहसान इतने किए है लेकिन जताती नहीं हैं, बासी खाना कभी मुझे खिलती नहीं हैं, साथ नहीं है लेकिन यहीं कहीं लगती हैं, माँ मुझे भगवान से भी बड़ी लगती हैं, आकाश R मिश्रा Love you mummy