अजीब इत्तेफाक अजीब सिलसिला हुआ वो एक रोज मेरा हुआ मैं छोड़कर आई सारी कायनात और वो दरवाजे पर खड़ा मिला न ज्जबात कम थे न एहसास बस मुलाकात में थोड़ा काफिला हुआ मैं चूम लेती उसकी निगाहों को पर वो दीवाना मेरी आँखों का हुआ हुस्न फरत छोड़कर वो पागल घायल मेरी बातों से हुआ कैसे दूर जाती उससे मन मेरा उसकी हरकतो का हुआ #NojotoQuote