मेरे जख्मो का मरहम अगर तुम हो तो ये जख्म भी तो तुम्हारा दिया एक नायाब तोहफा ही है। अगर मुस्कुरा रहे है हम तो रुलाने की वजह भी तो तुम ही हो shweta nishad shayri # vo bhi kya khvab the