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इन‌ हवाओं, इन‌ फिजाओं, और इन बहती नदियों से शायद,

इन‌ हवाओं, इन‌ फिजाओं, और इन बहती नदियों से
शायद, इक अधूरा सा रिश्ता है कोई मेरा 
बिछूड़न उस जमाने का याद‌ न रहा
बस एक एहसास, दिल‌ में समाया सा रह गया
धू़ंधली यादों से मिट्टी, हटा‌ रहा मानो‌ कोई
लहरों के साथ, हाथ थाम कर
मंजिल की ओर,कोई पहुंचाने आ‌ गया।

©Sarita Kumari Ravidas
  #Life कुछ अनकही बातें

Life कुछ अनकही बातें #ज़िन्दगी

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