बांवरा मन घनघोर घटा छाई रे सखी, मद मस्त पवन लहराए, पीय मिलन को बाँवरा मनवा, मचला मचला जाए। रिमझिम रिमझिम बूंदे बरसे, मन मल्हार गुनगुनाये, पपीहा बोले पीउ पीउ, हियरा बिध बिध जावे। अमुआ डारी डोरी पड़ी, सखिया झूला झूलावे, सावन की मस्ती में झूम झूम, कजरी सोहर गावे। बीच दलानी भाभी बैठी, मेहंदी हाथ रचावे, अबके बरस तोहें गौने भेजूं, रहि रहि तान सुनावे। बरस इक्कीस मोरी बीती, घर अंगना ना सुहावे, चेत करो मेरे प्रियतम अब, काहें तू देरी लगावे ? © मृत्युंजय @ तारकेश्वर दूबे। बांवरा मन #ShiningInDark