कृष्ण कन्हैया कहलाने को मुख में ब्रहमांड बसाने को सुदामाओ को सखा बनाने को दधि,माखन मिश्री खाने को गौ माता को मान दिलाने को वो मुरली की तान सुनाने को बोलो कान्हा क्या तुम पुनः आओगे ? कालिया, कंसो पर विजय करने को पुनः धर्म की जय जय करने को असत्य के भेदो को खोलने को अन्याय विरूद्ध हर क्षण बोलने को शिशुपालो के अपशब्द रोकने को बोलो कान्हा क्या तुम पुनः आओगे? शांति प्रस्तावों को लाने को द्रोपदियो की लाज बचाने को अर्जुन को युग धर्म बताने को विराट स्वरुप दिखाने को सुदर्शन चक्र चलाने को बोलो कान्हा क्या तुम पुनः आओगे? राधा के बिन तरसने को मीरा के मन में बसने को सुर की आंखे बनने को गीता का बखान करने को भारत को पुनः महान करने को बोलो कान्हा क्या तुम पुनः आओगे ? (लोकेंद्र की कलम से) #लोकेंद्र की कलम से