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कुछ पल अपने भी सजाओ, टक-टक वक्त की सुईयाँ, बढ रही

कुछ पल अपने भी सजाओ,
टक-टक वक्त की सुईयाँ, बढ रही हैं जिंदगी की,
कुछ गीत खुद के भी गुनगुनाओ,
कभी खुद को भी हँसाओ. #खुद को भी हँसाओ#
कुछ पल अपने भी सजाओ,
टक-टक वक्त की सुईयाँ, बढ रही हैं जिंदगी की,
कुछ गीत खुद के भी गुनगुनाओ,
कभी खुद को भी हँसाओ. #खुद को भी हँसाओ#