मुल्क बटने वाला था मगर कुछ के लिए जिन्हे समझ थी मुल्क की लोगो के लिए नहीं औरतों के लिए नहीं औरतें .... बरामद की हुई औरते नहीं... अगुआ की हुई औरतें औरतें आ रही थी औरतें जा रही थी मगर कंहा फटे आंचल वाली औरतें फूले पेट वाली औरतें घर की इज्ज़त वाली औरतें लेकिन कंहा जा रही थी ? था ही कोन उनका। अनुष्का ढाका # बरामद औरते