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कभी जो छूटे साथ तुम्हारा हाथ पकड़ कर रोक लेना Dea

कभी जो छूटे साथ तुम्हारा 

हाथ पकड़ कर रोक लेना Dear #Tum 

आज ना एक कहानी सुनानी है तुम को ... 

एक बार की बात है एक गाँव में एक लड़का रहता था अक्सर लोग उसे मूर्ख कहा करते थे । लेकिन वो कभी किसी की बात का बुरा नही मानता था उस का मानना था लोग वहीं सब मानते है , जो सोचते और समझते है । वो लड़का कभी किसी में भेदभाव नही करता था , सब को अपना मानता था । इसलिए सब को सब कुछ बता देता था ... अक्सर लोग उसकी इस बात का मज़ाक उड़ाते और कहते कैसा मूर्ख है जो अपनी हर बात हम सब को बता देता है । ऐसा नही था कि उसे नही पता था कितनी बात कहनी चाहिए ... और कितनी नही , वो अक्सर अपने अनुभव सब के साथ बाँटता था । उसे लगता था ... जो उसे पता है सब को पता होना चाहिए । एक बार ऐसे ही पंचायत लग रखी थी लोग एक दूसरे पर ऊँगलियाँ उठा रहे थे ... इस की गलती है उसकी गलती है ... उस मूर्ख लड़के ने खड़े होकर कहा सारी गलती मेरी है । सरपंच ने पूछा तुम्हारी गलती कैसे है ? लड़के ने कहा , किसी को तो ये अपराध स्वीकार करना होगा तब जाकर समाधान की बात होगी ... पंचायत में खामोशी छा गई । थोड़ी देर बाद समाप्त हुई तो बड़े सरपंच जी उस लड़के के साथ पैदल घर की ओर निकल पड़े । तब सरपंच ने पूछा , "सब लोग तुझे मूर्ख क्यों कहते है ? " लड़का " ये उनकी सोच है और मैं बदल नही सकता " ... सरपंच " तुम्हें बुरा नही लगता ! " लड़का " बुरा क्या मानना जी ! सच तो मैं जानता हूँ ना ! वैसे भी आप ने ... वो बात तो सुनी होगी दुनिया का सब से बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग " सरपंच " मैं समझा नही ।" लड़का , " हम सारी ज़िन्दगी बस इस ही उधेड़बुन में बिता देते है के बाकी के लोग हमारे बारे में क्या सोचते है ... और चाहते ना चाहते उन के हिसाब से ज़िन्दगी जीने लगते है । इस वजह से ना तो खुद खुश रह पाते है और ना दूसरों को खुश रख पाते है ... सरपंच , बेटा ! तुम ने ये बाते कहा से सीखी । लड़का , " कुछ अपने अनुभव से कुछ लोगों की बाते देख सुन कर " ... सरपंच हैरान था इतनी कम उम्र में इतनी गहरी बातें कैसे जानता है तो उसने लड़के के घर परिवार के बारे में पता किया तो लड़के ने बताया उसके पिता बचपन में ही चल बसे फिर कुछ सालो पहले माँ का भी निधन हो गया ... अब वह जहां कोई काम मिलता है कर के गुज़र बसर करता है ... सरपंच ने उसे अपने घर पर नौकरी करने का प्रस्ताव दिया ... लड़के ने भी हामी भर दी ... कुछ ही महीनों में उस ने सारा काम सीख व समझ लिया । लड़का धीरे धीरे व्यस्त रहने लगा और फिर लोग उस से बातें करने के लिए तरसने लगे । लोग अब उस लड़के के बारे में और बाते बनाने लगे ... लड़का घमंडी हो गया है ... चार पैसे क्या कमा रहा है कि अपने आप को कलेक्टर समझने लगा ... एक दिन सरपंच ने सुना तो गुस्सा करते हुए बोले आप को क्यों जलन हो रही है ? आप भी मेहनत कर के कमा ले ... सरपंच की आवाज़ सुन लड़का भागा भागा बाहर आया ... सरपंच को शांत करवाते हुए लड़के ने कहा , " दुनिया का सब से बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग " आप इन की बातें सुन क्यों अपना खून जला रहे है । इन का तो काम है ये सब कहना ... सरपंच लड़के के धैर्य और समझदारी से इतना प्रसन्न हुआ की अपनी बेटी की शादी उस लड़के से करा दी ...

Dear #Tum
कभी जो छूटे साथ तुम्हारा 

हाथ पकड़ कर रोक लेना Dear #Tum 

आज ना एक कहानी सुनानी है तुम को ... 

एक बार की बात है एक गाँव में एक लड़का रहता था अक्सर लोग उसे मूर्ख कहा करते थे । लेकिन वो कभी किसी की बात का बुरा नही मानता था उस का मानना था लोग वहीं सब मानते है , जो सोचते और समझते है । वो लड़का कभी किसी में भेदभाव नही करता था , सब को अपना मानता था । इसलिए सब को सब कुछ बता देता था ... अक्सर लोग उसकी इस बात का मज़ाक उड़ाते और कहते कैसा मूर्ख है जो अपनी हर बात हम सब को बता देता है । ऐसा नही था कि उसे नही पता था कितनी बात कहनी चाहिए ... और कितनी नही , वो अक्सर अपने अनुभव सब के साथ बाँटता था । उसे लगता था ... जो उसे पता है सब को पता होना चाहिए । एक बार ऐसे ही पंचायत लग रखी थी लोग एक दूसरे पर ऊँगलियाँ उठा रहे थे ... इस की गलती है उसकी गलती है ... उस मूर्ख लड़के ने खड़े होकर कहा सारी गलती मेरी है । सरपंच ने पूछा तुम्हारी गलती कैसे है ? लड़के ने कहा , किसी को तो ये अपराध स्वीकार करना होगा तब जाकर समाधान की बात होगी ... पंचायत में खामोशी छा गई । थोड़ी देर बाद समाप्त हुई तो बड़े सरपंच जी उस लड़के के साथ पैदल घर की ओर निकल पड़े । तब सरपंच ने पूछा , "सब लोग तुझे मूर्ख क्यों कहते है ? " लड़का " ये उनकी सोच है और मैं बदल नही सकता " ... सरपंच " तुम्हें बुरा नही लगता ! " लड़का " बुरा क्या मानना जी ! सच तो मैं जानता हूँ ना ! वैसे भी आप ने ... वो बात तो सुनी होगी दुनिया का सब से बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग " सरपंच " मैं समझा नही ।" लड़का , " हम सारी ज़िन्दगी बस इस ही उधेड़बुन में बिता देते है के बाकी के लोग हमारे बारे में क्या सोचते है ... और चाहते ना चाहते उन के हिसाब से ज़िन्दगी जीने लगते है । इस वजह से ना तो खुद खुश रह पाते है और ना दूसरों को खुश रख पाते है ... सरपंच , बेटा ! तुम ने ये बाते कहा से सीखी । लड़का , " कुछ अपने अनुभव से कुछ लोगों की बाते देख सुन कर " ... सरपंच हैरान था इतनी कम उम्र में इतनी गहरी बातें कैसे जानता है तो उसने लड़के के घर परिवार के बारे में पता किया तो लड़के ने बताया उसके पिता बचपन में ही चल बसे फिर कुछ सालो पहले माँ का भी निधन हो गया ... अब वह जहां कोई काम मिलता है कर के गुज़र बसर करता है ... सरपंच ने उसे अपने घर पर नौकरी करने का प्रस्ताव दिया ... लड़के ने भी हामी भर दी ... कुछ ही महीनों में उस ने सारा काम सीख व समझ लिया । लड़का धीरे धीरे व्यस्त रहने लगा और फिर लोग उस से बातें करने के लिए तरसने लगे । लोग अब उस लड़के के बारे में और बाते बनाने लगे ... लड़का घमंडी हो गया है ... चार पैसे क्या कमा रहा है कि अपने आप को कलेक्टर समझने लगा ... एक दिन सरपंच ने सुना तो गुस्सा करते हुए बोले आप को क्यों जलन हो रही है ? आप भी मेहनत कर के कमा ले ... सरपंच की आवाज़ सुन लड़का भागा भागा बाहर आया ... सरपंच को शांत करवाते हुए लड़के ने कहा , " दुनिया का सब से बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग " आप इन की बातें सुन क्यों अपना खून जला रहे है । इन का तो काम है ये सब कहना ... सरपंच लड़के के धैर्य और समझदारी से इतना प्रसन्न हुआ की अपनी बेटी की शादी उस लड़के से करा दी ...

Dear #Tum
yashvisingh7466

Yashvi Singh

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