सदियों से चल रहा था जो कारवां , वक्त से निकलकर आया है ये लम्हा, थम गया पहियों का घूमना भी आज जाने क्यों इंसानों का दौड़ना बंद हुआ । टीम टीमा उठे तारें भी आसमां पे , नदिया भी आज कल कल बोल उठी, पंछी भी उड़ चली नीले गगन पे, मेरा दिल भी निरंकुश निकल पड़ा जैसे मिला ना था एक अरसे से खुद को। ( Zen पलाश) सदियों से चल रहा था जो कारवां , वक्त से निकलकर आया है ये लम्हा, थम गया पहियों का घूमना भी आज जाने क्यों इंसानों का दौड़ना बंद हुआ । टीम टीमा उठे तारें भी आसमां पे , नदिया भी आज कल कल बोल उठी, पंछी भी उड़ चली नीले गगन पे, मेरा दिल भी निरंकुश निकल पड़ा