एक दिन की बात है बड़ी अच्छी मुलाकात की बात है मिला था मैं उससे हुई थी लंबी मुलाकात हमारी जिसके बाद हुई न अगली मुलाकात हमारी अब मै और मेरी तन्हाई बैठ के रोते है दिन में तड़प तड़प के सोते है रात भर आंखें नम रहती है नींद कहां आएगी दिन में आसूं छिपाना है बिस्तर में छिप जाएगी बाहर निकला तो लोग हजार सवाल पूछेंगे न चाहते हुए भी मेरे ज़ख्म नोचेंगे भला यही है कि कुछ कर जाएं गलत न तो कुछ सही कर जाएं गैरो के लिए नहीं तो कुछ अपने लिए कर जाएं खुशकिस्मत है जो मिली है हमें यह जिंदगी तो जिए जिंदगी को जिंदगी के तरह मां बाप भाई बहने के लिए ही सही लेकिन जिंदगी में कुछ कायदे का कर के जाएं।। ©Ankit yadav #boatclub