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धीमा हो गया हूँ थोड़ा थमा अभी नही हूँ मैं, समेट रह

धीमा हो गया हूँ थोड़ा
थमा अभी नही हूँ मैं,

समेट रहा हूँ सब अपने में
अभी हारा नहीं हूँ मैं,


सपने चूर चूर हुए हैं,
अब खुद मैं ख़ुद नहीं हूँ मैं,

अपने दूर दूर हुए है,
पर अकेला हुआ नहीं हूँ मैं,

धीमा हो गया हूँ थोड़ा,
थमा अभी नही हूँ मैं...
थमा अभी नहीं हूँ मैं...

©शैलेन्द्र यादव
  #थमा अभी नही हूँ मैं

#थमा अभी नही हूँ मैं #कविता

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