मुस्कुरा देते हैं कोई पूछता है जो हाल किस किस को सुनाएं दास्तां-ए-हाल अपने मान लेता हूं मैं यूं तो हर बात उसकी फ़िर भी कहती है करते हो परेशान कितने ज़ुल्म देख कर उठाए जो आवाज़ अपनी शहर में कहां बचे अब मेहरबान इतने वो मासूम है, उसे नहीं खबर दुनिया कि खड़े है पीछे उसके निगहबान कितने लिख लेते हैं हम भी कुछ अच्छा कभी कभी क्यों हो जाते हो शायरी पढ़ कर तुम हैरान इतने #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqthoughts #yqlongform #gazal