ये धुआँ-धुआँ सा कैसा है, सुलगने दो, मेरा मकान थोड़े है। क्यों फ़िज़ूल में कर रहे हो सज़दे, आदमी है, परवरदिगार थोड़े है। परिंदों, उड़ो खुले आसमानों में, किसी के हक़ में आसमान थोड़े है। थाम लो बाँहें सदायें दे रहा है आसमां, घोसले हैं दिलकशी बस, घर तेरा है आसमां... #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqdada #freesoul #monday #motivator