मत हो निराश ए मुशाफिर रास्ता है तो मंजिल भी होगी चलता जा तू बेफिक्र होकर पत्थर भी होंगे सहज की सड़कें भी होंगी डरना ना किसी से तो निश्चिंत हो कर चल रास्ता है तो मंजिल भी होगी कोई रोकेगा तुम्हें मत सुनना तुम उनकी कोई भटकाएगा मत भटकना राह पर तेरी मंजिल है वहां जहां तुझे जाना है सही और ग़लत का मार्ग अब तुझे ही बनना है मत हो निराश ए मुशाफिर रास्ता है तो मंजिल भी होगी ❤️❤️❤️❤️❤️ haar na man