दौड़ा हूं मैं भी नंगें पैरों इन लहलाते खेतों में, बेपरवाह, बेधड़क, यारों में मस्त मगन, हंसी ठिठोली, बिखरे बाल अनजान झूठे दिखाओं से, पर आज किताबों के बोझ तले आता हूं घर चुपचाप सा मैं। #_R@HUL_KUM@R😌 © poetry Dil se #ChildrensDay