रमज़ान के महीने में कुछ लोग रोज़े नहीं रखते. लेकिन, अक्सर वहीं लोग आइपीएल देखने में घंटों तक खाना भी नहीं खाते। जरूरी क्या है? जो अल्लाह हमें जानता है हमे पहचानता है, हमारे सुख में, हमारे दुख़ में। हमे उसे खुश करना है, या फिर इन्हें करना हैं जो लोग हमें जानते तक नहीं। इसलिए दोस्तों मै सिर्फ इतना ही कहूंगा, साल के ग्यारह महीने हमने उसकी नाफरमानी की, सिर्फ एक महीना अच्छे से उसकी इबादत और रोज़े रखेंगे इंशाल्लाह कबर में इसका अच्छा अजर देखने को मिलेगा। ©Silent killer जरूरी क्या है सोचो? आईपीएल या फिर रोज़े #vacation