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कैसी होरी खिलाई। आग तन-मन में लगाई॥ पानी की बूँदी

कैसी होरी खिलाई।
आग तन-मन में लगाई॥
पानी की बूँदी से पिंड प्रकट कियो सुंदर रूप बनाई।
पेट अधम के कारन मोहन घर-घर नाच नचाई॥

©Ashok  Kumar
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