इन अस्थिर हवाओ में हु क्या मैं चाहती ? है खो दिया उन रातो को, कहो अब क्या बाकी? संदेह है वियोग हु, क्या जग से अब भी! ए प्रीत सब तो मिट गया, कहो अब क्या बाकी? विलय हैं हृद तुमसे पर, करुणा लोचन को प्यासी। सुना न मेरी एक पुकार , कहो अब क्या बाकी? नीत तुम्हे ढूंढती हर श्रण, ये प्रियसी , तेरी दासी। ए कृष्णा तेरे विरह को और कहो अब क्या बाकी? ईन श्वास को धर लो खुद में, तुम बिन कहा है तृप्ति? विध्वंश हो जब प्राण ही ये, तो कहो अब क्या बाकी? ~कहो अब क्या बाकी?~ ©Shruti Gupta #yqbaba #yqdidi #yopowrimo Best of YourQuote Poetry