मैं वो आवारा झोंका हूँ, बहती हुई हवा का। जो तेरे जिस्म को छूने की, आरज़ू रखता हूँ। महकेगा मेरा इक-इक कतरा, तेरी खुशबू से। तेरे शोख-ए-बदन की, प्यारी खुशबू रखता हूँ। बदलेगी इक दिन तक़दीर, मैं तेरा बन जाऊँगा। हँसी ख्वाबों में भी, मैं तेरी ही जुस्तजू रखता हूँ। तन्हा रातों में "साहिल" को तेरा दीदार हो न हो। पर मैं अपने ख़यालों को, हर पल काबू रखता हूँ। 🎀 Challenge-451 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।