सचेती हूँ,,,,मै उस घड़ी के बारे मे जो चली है,,,हमेशा ही यू टिक-टिक कभी रूकी ही नहीं,,, काश चल पाती कभी पीछे तो ले जाती मुझे भी उन प्यारी यादो मे.!! अजीब-सी कश्मकश मै सोचती हूँ मै... ये चारो अोर की खामोशी और,,,.सुन रही कोई गीत हूँ मै.....! ना जाने पुरा होगा के नही,,,,, फिर भी कोई ख्वाब बुन रही हूँ... लिख कर कुछ शब्द मन के सोचती हूँ,,,, इतराके कोई कवि हूँ मै...! जैसे की ये कहानी मेरी और इसकी छवि हूँ मै,,!!!! #poetry #waqt Mr. MANEESH