एक पल की दास्तान आओ एक पल की दास्तां तुम्हें सुनाते हैं बीते थे सदी वह पल में उसकी बात बताते हैं वह पल इतना सुहाना था जिस पल उन्हें पाना था लुक छुप उनसे मिलना था छुप-छुपकर आहें भरना था थम जाए वह पल ऐसा जी होता था जब कोई ना होता संग वो होता था वह क्षण कितना सुहावना था संग उनका कितना लुभावना था उनकी याद संजोए में बैठी हूं तनहा हूं आज लेकिन उनके बातों को समेटे हूं जल्द आएंगे वह पल जिस पल वो मिलेंगे रहेंगे संग पुष्प रूपी मन खिलेंगे यही है मेरे एक पल की दास्तां बीते थे सदी उस पल में ऐसा है मेरा प्रेम का कारवां। -मुस्कान वर्मा ek pal ki dastan #DesertWalk