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Strongly dedicated to someone.... बहुत इन्तज़ार के

Strongly dedicated to someone....

बहुत इन्तज़ार के बाद हासिल वो मुकाम हुआ था उसे,
पर दुनिया को उसकी तरक्की रास ना आयी।
वो खड़ा होता रहा हर बार गिर गिर कर,
पर अपनो की ही चाले उसे कभी समझ ना आयी ।
करते रहे वार कुछ भेड़िये, अपनो का लिबास ओड़े,
उम्र गुजार दी उस शक्स ने जिन हैवानो को अपना मानते हुएँ,
उन्हे ही उसकी दो पल की खुशी फून्टी आँख ना भाई।
ऐसे रिश्ते जो बन गये खंजर किसी नेक आत्मा के लिये,
ना जाने क्यो उन्हे अपने अन्जाम की ज़रा भी खबर ना आयी।
अन्त छल का बहुत घातक होता हैं,
हर छली का अन्त विध्वंसक होता हैं।
नेक आत्मा की रक्षा तो हमेशा वो खुदा ही करता हैं,
उनसे बचकर रहियेगा जनाब, जिनकी जुबां पर शहद का लेप होता हैं।
वो नपुंसक क्या मिटायेंगे शक्सियत को उस इंसान की,
जिसका राज उसके कर्मो लोगो के दिलों पर होता हैं।

आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

  #NojotoQuote Strongly dedicated to someone....

बहुत इन्तज़ार के बाद हासिल वो मुकाम हुआ था उसे,
पर दुनिया को उसकी तरक्की रास ना आयी।
वो खड़ा होता रहा हर बार गिर गिर कर,
पर अपनो की ही चाले उसे कभी समझ ना आयी ।
करते रहे वार कुछ भेड़िये, अपनो का लिबास ओड़े,
उम्र गुजार दी उस शक्स ने जिन हैवानो को अपना मानते हुएँ,
Strongly dedicated to someone....

बहुत इन्तज़ार के बाद हासिल वो मुकाम हुआ था उसे,
पर दुनिया को उसकी तरक्की रास ना आयी।
वो खड़ा होता रहा हर बार गिर गिर कर,
पर अपनो की ही चाले उसे कभी समझ ना आयी ।
करते रहे वार कुछ भेड़िये, अपनो का लिबास ओड़े,
उम्र गुजार दी उस शक्स ने जिन हैवानो को अपना मानते हुएँ,
उन्हे ही उसकी दो पल की खुशी फून्टी आँख ना भाई।
ऐसे रिश्ते जो बन गये खंजर किसी नेक आत्मा के लिये,
ना जाने क्यो उन्हे अपने अन्जाम की ज़रा भी खबर ना आयी।
अन्त छल का बहुत घातक होता हैं,
हर छली का अन्त विध्वंसक होता हैं।
नेक आत्मा की रक्षा तो हमेशा वो खुदा ही करता हैं,
उनसे बचकर रहियेगा जनाब, जिनकी जुबां पर शहद का लेप होता हैं।
वो नपुंसक क्या मिटायेंगे शक्सियत को उस इंसान की,
जिसका राज उसके कर्मो लोगो के दिलों पर होता हैं।

आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

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बहुत इन्तज़ार के बाद हासिल वो मुकाम हुआ था उसे,
पर दुनिया को उसकी तरक्की रास ना आयी।
वो खड़ा होता रहा हर बार गिर गिर कर,
पर अपनो की ही चाले उसे कभी समझ ना आयी ।
करते रहे वार कुछ भेड़िये, अपनो का लिबास ओड़े,
उम्र गुजार दी उस शक्स ने जिन हैवानो को अपना मानते हुएँ,

Strongly dedicated to someone.... बहुत इन्तज़ार के बाद हासिल वो मुकाम हुआ था उसे, पर दुनिया को उसकी तरक्की रास ना आयी। वो खड़ा होता रहा हर बार गिर गिर कर, पर अपनो की ही चाले उसे कभी समझ ना आयी । करते रहे वार कुछ भेड़िये, अपनो का लिबास ओड़े, उम्र गुजार दी उस शक्स ने जिन हैवानो को अपना मानते हुएँ, #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan