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दुनियां में बिखरा हैं तिलिस्म जिसका शिकार होता हैं

दुनियां में बिखरा हैं तिलिस्म
जिसका शिकार होता हैं जिस्म
मन आजाद फिरता हैं जहान में
जिस्म फंसता हैं फिर उसके तूफान में
आँख, नाक, कान जीभ को बना जरिया
कभी ऊंचा उठाता है , कभी डुबा दे दरिया
जद्दोजहद कभी, कभी दो पल का सुकून
कभी हसीन ख्वाब, कभी उमींदों का खून
कुछ जाबाज़ भी है, जो टूटते नहीं हैं किसी हाल
वे ही बन जाते हैं फिर दुनियाँ के लिए मिसाल

©Kamlesh Kandpal
  #Ajadman