मतलबी नहीं हूँ मैं बस जन्म ही लिया जब कलयुग में तो तुमको ऐसा लग रहा प्रभु अपने लिये कुछ न माँगा जब भी आया चौखट पे तेरी माँगा बस परिवार के लिये मेरा न कसूर इसमें रचा धरा सब करा धरा तेरा तूने ही फँसाया मुझको इन उलझनों में वर्ना चरणों का दास बना मैं कितना खुश था तुझको ही मेरी खुशी न रास आयी झोंक दिया इस मोह माया के दलदल जाल में.... ©Mahadev Son मेरे प्रभु हम तुम्हारे थे तुम्हारे है तुम्हारे ही रहेंगे ओ मेरे गिरधर....