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हर लय में दृस्य मैंने ताल तुम्हारी लगा ली है , आध

हर लय में दृस्य मैंने 
ताल तुम्हारी लगा ली है ,
आधे आधे गीतों की 
सरगम जाने पहचाने हैं ! 

( अनुशीर्षक में ...) DQ : 387

मय के दो प्याले हैं ,
तेरी आँखों के दीवाने हैं ,

शय चुराती होंठों पे 
हसीं ख़्वाब हमारे हैं !
हर लय में दृस्य मैंने 
ताल तुम्हारी लगा ली है ,
आधे आधे गीतों की 
सरगम जाने पहचाने हैं ! 

( अनुशीर्षक में ...) DQ : 387

मय के दो प्याले हैं ,
तेरी आँखों के दीवाने हैं ,

शय चुराती होंठों पे 
हसीं ख़्वाब हमारे हैं !