#OpenPoetry शेर सा वज़्न है आपकी बात में । कैसे लाते असर इतना जज़्बात में ।। हमने टोका मगर हमसे पर्दा किया, लग गयी है नज़र इस क़रामात में । रूप की धूप पर ज़ुल्फ़ की बदलियाँ, क्या ग़ज़ब हो गया चाँदनी रात में । वो मिले क्या किसी मोड़ पर यक-ब-यक, बन गयीं कुछ लकीरें मेरे हाथ में । सर्द मौसम जवाँ धड़कनों की सदा, बचके रहिये 'सरस' ऐसे हालात में । © संजय शर्मा 'सरस' 9929632496/9354352919 ग़ज़ल