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तेरी रूह से मेरी रूह मिल गई, दो नदियों की धाराएँ

तेरी रूह से मेरी रूह मिल गई, 
दो नदियों की धाराएँ समुंदर हो गई। 
लोग खोजते फिर रहे हैं मुझे तुझमें कही न कही, 
मैं प्यार के पंख लगा आसमाँ में उड़ गई।

©लक्ष्मी मौर्या (भूमिका)
  #dodil teri rooh se meri rooh

#dodil teri rooh se meri rooh #कविता

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