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ज़िन्दगी गुज़र गई शुभ की चिंता में, लाभ का लालच नह

  ज़िन्दगी गुज़र गई शुभ की चिंता में,
लाभ का लालच नहीं आया हिस्से..!

स्वर्ण नगरी मन की कब हो गई कोयला,
किसे सुनाऊँ दुःख अपना फ़रियाद करूँ किससे..!

सूली चढ़ी पुरानी बातें,
नज़र अंदाज़ की गई कहानियाँ किस्से..!

रातों की नींद न सुबह का करार,
बेचैनियों का बंधन तोड़े कहाँ रस्से..!

हाथों को जोड़ छोड़ माया का साथ,
अब प्रभु के चरणों में नाक अपनी घिस्से..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #mountainsnearme #fariyad