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वो कभी कम तो कभी ज्यादा प्यार जताती है; कहना च

वो कभी कम तो
    कभी ज्यादा प्यार जताती है;
कहना चाहती है सब कुछ 
मगर कुछ कह नही पाती है!
प्यार उसकी आँखों में नज़र आता है;
पर दिखा नहीं पाती है!
प्यार करती है मगर अपने तरीक़े से;
कभी लड़ती है तो कभी ख़ामोश हो जाती  है!
एक अलग अंदाज़ में वो;
कभी अले- ले-लें तो कभी अच्छा
बोलकर खुद में ही शर्माती है!
वह कभी मासूम तो कभी सख़्त बन जाती है;
 शरारती भी है थोड़ी चुलबुली भी
खुद ही रूठती है वो
खुद ही मान जाती है!
वो जैसी भी है, मुझे वो हर रोज़ याद आती है!

©shivraj singh7 #वो_और_मैं
वो कभी कम तो
    कभी ज्यादा प्यार जताती है;
कहना चाहती है सब कुछ 
मगर कुछ कह नही पाती है!
प्यार उसकी आँखों में नज़र आता है;
पर दिखा नहीं पाती है!
प्यार करती है मगर अपने तरीक़े से;
कभी लड़ती है तो कभी ख़ामोश हो जाती  है!
एक अलग अंदाज़ में वो;
कभी अले- ले-लें तो कभी अच्छा
बोलकर खुद में ही शर्माती है!
वह कभी मासूम तो कभी सख़्त बन जाती है;
 शरारती भी है थोड़ी चुलबुली भी
खुद ही रूठती है वो
खुद ही मान जाती है!
वो जैसी भी है, मुझे वो हर रोज़ याद आती है!

©shivraj singh7 #वो_और_मैं