वो कभी कम तो कभी ज्यादा प्यार जताती है; कहना चाहती है सब कुछ मगर कुछ कह नही पाती है! प्यार उसकी आँखों में नज़र आता है; पर दिखा नहीं पाती है! प्यार करती है मगर अपने तरीक़े से; कभी लड़ती है तो कभी ख़ामोश हो जाती है! एक अलग अंदाज़ में वो; कभी अले- ले-लें तो कभी अच्छा बोलकर खुद में ही शर्माती है! वह कभी मासूम तो कभी सख़्त बन जाती है; शरारती भी है थोड़ी चुलबुली भी खुद ही रूठती है वो खुद ही मान जाती है! वो जैसी भी है, मुझे वो हर रोज़ याद आती है! ©shivraj singh7 #वो_और_मैं