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ए वक्त ठहर जा जरा सा बड़ी दुआओं और मन्नतों से मिल

ए वक्त ठहर जा जरा सा 
बड़ी दुआओं और मन्नतों से मिली है 
मुझे यह पगली सी लड़की
जो सोई है मेरी गोद में अपना सर रखकर
किसी अबोध बच्चे की तरह
सोने दो, इसके इस तरह से सोने से
मेरा कण-कण जैसे जी उठा है

ऐ! सूरज,चांद,तारों को चलाने वाले परिचारक
आज कुछ पल को तुम भी थोड़ा विश्राम कर लो
छोड़ दो सबको अपनी अपनी जगह चांद और सूरज को
मत जलाओ बुझाओ किसी भी तारे को
मैं चाहता हूं कि जब इसकी आंख खुले तो चांद जल्दी से छुप
जाए सूरज अलसाते हुए उठे
जब यह आंख खोले तो फूल खिलना शुरू करें
जब मेरी गोदी से सर उठा कर 
अलसाते हुए मेरे कंधे पर सर टिका कर बैठे
तो धीरे-धीरे धुंध छटे
इसके पहले कोई मुर्गा बाग ना दे 
हवा फूलों की खुशबू मेरे कमरे तक ना ले आए
जिससे कि इसकी  नींद खराब हो
मैं चाहता हूं कि यह खुद उठकर बादलों को नारंगी और सिंदूरी रंग से सजाए, 
फूलों में अपनी पसंद से खुशबू भरे 
तितलियाें में रंग भरे और उन्हें मुक्त कर दे उड़ने के लिए
मैं चाहता हूं कि यह अपनी मीठी सी आवाज से परिंदों को जगाए 
कि वे सुबह की हवा में अपने मीठे स्वर को मिलाकर दिन का आगाज करें
मैं चाहता हूं कि यह जुगनुओं को यह बता कर वापस बुला ले कि
रात ढल गई है और फिर शाम को लौट कर रात को रोशन करने जाना है
पर इससे पहले..... इससे पहले 
यह यूँ ही मेरी गोद में सोई रहे 
और मैं शदियों तक इसी तरह इसे देखता रहूं 
और इसके बालों में अपनी उंगलियां फेरता रहूं 
यह पल यूं ही रुक जाए, थम जाए, ठहर जाए, सदियों के लिए 
ताकि हमें कोई जुदा ना कर सके 
ताकि हमें कोई जुदा ना कर सके

©Sandeep Albela #sandeep_albela, #top_writter #life #pain #zindagi #poetry #lucy
ए वक्त ठहर जा जरा सा 
बड़ी दुआओं और मन्नतों से मिली है 
मुझे यह पगली सी लड़की
जो सोई है मेरी गोद में अपना सर रखकर
किसी अबोध बच्चे की तरह
सोने दो, इसके इस तरह से सोने से
मेरा कण-कण जैसे जी उठा है

ऐ! सूरज,चांद,तारों को चलाने वाले परिचारक
आज कुछ पल को तुम भी थोड़ा विश्राम कर लो
छोड़ दो सबको अपनी अपनी जगह चांद और सूरज को
मत जलाओ बुझाओ किसी भी तारे को
मैं चाहता हूं कि जब इसकी आंख खुले तो चांद जल्दी से छुप
जाए सूरज अलसाते हुए उठे
जब यह आंख खोले तो फूल खिलना शुरू करें
जब मेरी गोदी से सर उठा कर 
अलसाते हुए मेरे कंधे पर सर टिका कर बैठे
तो धीरे-धीरे धुंध छटे
इसके पहले कोई मुर्गा बाग ना दे 
हवा फूलों की खुशबू मेरे कमरे तक ना ले आए
जिससे कि इसकी  नींद खराब हो
मैं चाहता हूं कि यह खुद उठकर बादलों को नारंगी और सिंदूरी रंग से सजाए, 
फूलों में अपनी पसंद से खुशबू भरे 
तितलियाें में रंग भरे और उन्हें मुक्त कर दे उड़ने के लिए
मैं चाहता हूं कि यह अपनी मीठी सी आवाज से परिंदों को जगाए 
कि वे सुबह की हवा में अपने मीठे स्वर को मिलाकर दिन का आगाज करें
मैं चाहता हूं कि यह जुगनुओं को यह बता कर वापस बुला ले कि
रात ढल गई है और फिर शाम को लौट कर रात को रोशन करने जाना है
पर इससे पहले..... इससे पहले 
यह यूँ ही मेरी गोद में सोई रहे 
और मैं शदियों तक इसी तरह इसे देखता रहूं 
और इसके बालों में अपनी उंगलियां फेरता रहूं 
यह पल यूं ही रुक जाए, थम जाए, ठहर जाए, सदियों के लिए 
ताकि हमें कोई जुदा ना कर सके 
ताकि हमें कोई जुदा ना कर सके

©Sandeep Albela #sandeep_albela, #top_writter #life #pain #zindagi #poetry #lucy