आज वही फिर मुश्किल है। लगता खतरे में कल है। बादल फटते, बाढ़ें आतीं, गिरता जाता भू जल है। ईमान बिका दौलत की खातिर, इंशा कितना बुझ दिल है। रोजगार तो हुए बहुत पर, क्यूं निर्धनता व्याकुल है। हुई वासना के नर्तन से, सुंदरता भी धूमिल है। आशाओं के पेड़ लगाए, पर खाया किसने फल है। चिरजीबी हैं प्रश्न अनेकों, क्या, कोई इनका हल है। ©Kalpana Tomar मुश्किल है........ #nojohindi #nojolife #nojokavita