"कुछ है जो कहने को जी चाहता है, नफरत नहीं मोहब्बत भी नहीं पर दिल तेरे तराने हमेशा गुनगुनाता हैं! बात हो ना हो साथ होने का अहसास आता है, रब जाने ये तेरा-मेरा कैसा नाता है?" विवेक