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वो दिन भी कुछ ऐसा ही क्यूं चला.. घने कोहरे में कोई

वो दिन भी कुछ ऐसा ही क्यूं चला..
घने कोहरे में कोई अपना ना मिला ..
यूं तो पटरियों में कुछ हल चल हुई होगी जरूर..
हारा कोई फूल वहां भी..ज़िंदा हो कर भी जो कभी ना खिला... don't leave in loneliness
वो दिन भी कुछ ऐसा ही क्यूं चला..
घने कोहरे में कोई अपना ना मिला ..
यूं तो पटरियों में कुछ हल चल हुई होगी जरूर..
हारा कोई फूल वहां भी..ज़िंदा हो कर भी जो कभी ना खिला... don't leave in loneliness