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रात भर इक चांद साया रहा, उसका खुमार ज़हन मे छाया

रात भर इक चांद साया रहा, 
उसका खुमार ज़हन मे छाया रहा। 
किसी बला से लिपटे थे हम रात भर, 
सुबह होते हि उसे तवायफ़ बताया गया।

©Vijay Sonwane
  १ रात का चांद

१ रात का चांद #कविता

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