रचना - मोहब्बत की टूटी कड़ियाँ मैं रंगो के सांचो में ढल सा जाऊं ... साथ तुम्हारे इस जहां से.. उस जहां तक बह सा जाऊं ... खुद से ही मिलकर . खुद में ही खो पाऊं ... मेरे सपने ..मेरी कहानी ..तुमको मिलकर बतलाऊँ .. जो साथ बिताये थे हसीं लम्हे ... उन्हें फिर से गुनगुनाऊं.. तुम्हारे साथ बैठ ...वो पुरानी यादें फिर से ताजा कर पाऊं .. मैं फिर से तुमसे ..प्यार जताऊ..तुम इठलाकर रूठो मैं मनाऊं .. फिर से अपनी कागज़ी मोहब्बत के हवाई जहाज बना कर उड़ाऊ ... अपने दिल को कागज़ बना ... उस पर तुम्हारी तस्वीर बनाऊं ... तुम साझा करो अपनी परेशानिया .. मैं लाखो सुझाव सुझाऊँ.. तुमको फिर से समझने की हर मुमकिन कोशिश कर जाऊं ... कोसिस अब बस इतनी सी है ... मैं तेरा साया बन जाऊं कितनी सिद्दत थी मेरे प्यार में ...मैं तुमको फिर से दिखला पाऊं वो पल अब ख्वाब से हो गए. हैं ....मेरे लिए एक बार तो आओ ..फिर साथ बैठ कर .... मोहब्बत की टूटी कड़ियों को जोड़ जाओ .... मोहब्बत की टूटी कड़ियों को जोड़ जाओ ..... -. अमित तिवारी #NojotoQuote रचना - मोहब्बत की टूटी कड़ियाँ मैं रंगो के सांचो में ढल सा जाऊं ... साथ तुम्हारे इस जहां से.. उस जहां तक बह सा जाऊं ... खुद से ही मिलकर . खुद में ही खो पाऊं ...