आज नहीं कल मुझे सता रहा हैं कल की फ़िक्र में आज जीना भूले जा रहा हैं इतनी किस बात की सोच में डूब गया वो जो कल के वज़ह से आज मुस्करा नहीं पा रहा हैं हाँ होगी कई मजबूरियाँ कई बातें कई सवाल मगर कल की फ़िक्र में आज अच्छा है वो मेहसूस नहीं हो रहा हैं नम सी आंखें उतरी सी शक़्ल चुपचाप हुआ वो सब सभी को समझ आ रहा है फिर भी क्या पता क्यूँ हर कोई समझ कर नासमझ हो रहा हैं कल तो आना ही है मेरे यारा मत सोच इतना की हो जाए तू बेचारा आज की देख आज को जी ले क्या पता वो कल आनेवाले कल को बेहतर कराने के लिए आया हो।। ©Radhey_writing Written by radhey_writting #Nightlight #radheywriting