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लाख मुखालिफ हो हवा तो मुझे क्या गम है अब। मैंने अब

लाख मुखालिफ हो हवा तो मुझे क्या गम है अब।
मैंने अब तूफानों में दिया जलाना सिख लिया है।।

©Md Shaukat Ali "Saani"
  लाख मुखालिफ हो हवा तो मुझे क्या गम है अब।
मैंने अब तूफानों में दिया जलाना सिख लिया है।।
#shayar_ka_dill
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Saani

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लाख मुखालिफ हो हवा तो मुझे क्या गम है अब। मैंने अब तूफानों में दिया जलाना सिख लिया है।। #shayar_ka_dill

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