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श्री ज्ञानेश्वर, परद्रव्य और परनारी की अभिलाषा जह

श्री ज्ञानेश्वर,

परद्रव्य और परनारी की अभिलाषा जहाँ हुई वहीं से भाग्य का ह्रास आरम्भ हुआ। बड़े बड़े इनके चक्कर में मटियामेट हो गये इसलिए इन दोनों को छोड़ दे, इसी से अन्त में सुख पावेगा। अन्त
श्री ज्ञानेश्वर,

परद्रव्य और परनारी की अभिलाषा जहाँ हुई वहीं से भाग्य का ह्रास आरम्भ हुआ। बड़े बड़े इनके चक्कर में मटियामेट हो गये इसलिए इन दोनों को छोड़ दे, इसी से अन्त में सुख पावेगा। अन्त
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