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बरसों मुन्तजिर थे हम जिसकी इक झलक को , वो मिलने आय

बरसों मुन्तजिर थे हम जिसकी इक झलक को ,
वो मिलने आये तो चेहरा नक़ाब में छिपाकर । 

हम ज़ाम पे ज़ाम  पी गए नशा न हुआ ,
साकी पानी दे गया शराब में मिलाकर। 

उसने तो हमारे इश्क़ को मज़ाक समझा था ,
हम पागल थे जान दे गए यूँ तैश में आकर।

अब ढूंढती है मुझको वो हर गली हर मोहल्ले में ,
ए  बेवफा आ मिल ले शमशान में आकर। 
  #firstquote #अधूरी_मुलाकात #yqbaba #yqdidi #ghazal
बरसों मुन्तजिर थे हम जिसकी इक झलक को ,
वो मिलने आये तो चेहरा नक़ाब में छिपाकर । 

हम ज़ाम पे ज़ाम  पी गए नशा न हुआ ,
साकी पानी दे गया शराब में मिलाकर। 

उसने तो हमारे इश्क़ को मज़ाक समझा था ,
हम पागल थे जान दे गए यूँ तैश में आकर।

अब ढूंढती है मुझको वो हर गली हर मोहल्ले में ,
ए  बेवफा आ मिल ले शमशान में आकर। 
  #firstquote #अधूरी_मुलाकात #yqbaba #yqdidi #ghazal