रचना का सार Subscription/Unlock प्रतियोगिता-9 विषय :- नसीहत न कीजिये ******************* रहने दो तन्हा मुझको अब, कोई नसीहत न कीजिये। दिल बेज़ार अच्छा है अब, कोई फजीहत न कीजिये। आँखों से बहते अश्कों की, कोई कहानी न पूछिये। सुकूँ मिले इस दिल को अब, कोई दुआ तो कीजिये। हमने खुद का सोचा नहीं, गैरों पे भरोसा कर लिया। अँधेरों में ज़िंदगी बीत रही अब, कोई रोशनी कीजिये। ठोकर जब मिलती है जहाँ में, तब इंसान है सीखता। फ़रेब का रंग भी देख लिया, कोई तो मेरा सोचिये। बेशक़ मैंने धोखा खाया, इस ज़ालिम दुनिया जहाँ में। धोखे ने ही जीना सिखाया, अब कोई रहम न कीजिये। रचना का सार Subscription/Unlock प्रतियोगिता-9 विषय :- नसीहत न कीजिये रहने दो तन्हा मुझको अब, कोई नसीहत न कीजिये। दिल बेज़ार अच्छा है अब, कोई फजीहत न कीजिये। आँखों से बहते अश्कों की, कोई कहानी न पूछिये। सुकूँ मिले इस दिल को अब, कोई दुआ तो कीजिये।