बेख़ौफ़ कविताएँ कविताएँ पौधों की तरह होती हैं, जहाँ-तहाँ, कभी भी, कैसे भी पनपती हैं कविताएं पौधों जैसी, जागे हुए या सोये तुम, सपनों में खोये भी। सृजन आप ही मस्तिष्क कर ले, बुन ले किस्से कहानियाँ अनगिनत, एक कवि ढूंढ ले अपनी प्रेरणा, फूल, पत्तियों या देखे शाख बिन सजावट। जीवन की सुन्दर कविता मैं भी लिखना चाहूँ, बन कवयित्री अल्फ़ाज़ो का जश्न मनाना चाहूँ, स्याही मेरी बन तलवार बरसे पाखंड पर, मेरे हृदय की संवेदना किसी का दर्द बयान करे बन ढाल मेरे विचार किसी को संकट से बचाएँ, स्वर्णिम सोच से सद्बुद्धि का विकास हो अपार, मेरे सद्गुरु की गुण- गाण से करूं संसार में प्रचार। जब होगी बेबाक, अति विस्तृत कविताएँ, जिन्दगी आप ही होगी, बेख़ौफ़ और बेफिक्र। । #rztask506 #restzone #rzलेखकसमूह #कविता #कवि