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एक दुल्हन जो सज के खड़ी थी, अवनि से मिलने अंबर थी

एक दुल्हन जो सज के खड़ी थी,
अवनि से मिलने अंबर थी आतुर,
किरणों से शोभित डोली सजी,
फूलों के गहनों से महक रही। 

पैरों में ऐसे बज रही थीं पायल,
बागों में गुंजन कर रहा था भँवरा
रंग बिरंगी तितली थी उड़ती, 
दुल्हन के वसन में रंग वो भरती। 

दुल्हन की मीठी बोली सुन सुन, 
कोयल भी कू- कू करती है संग, 
होठों की लाली दमक रही थी ऐसे, 
बागों में खिली गुलाब की कलियाँ जैसे। 

लाल सुर्ख जोड़े में चमक रही थी आभा ऐसे, 
सूर्य की लालिमा से चमक रहा हो अंबर जैसे, 
नए सपने, नई जिंदगी की ओर बढ़ रही है दुल्हन, 
नव प्रभात, नव बेला में जग रहे हैं सब। नई किरण, नई दुल्हन संग  Zindagi Calling You Garima Grover PRATIK BHALA (pratik writes) J P Lodhi. Priya Gour
एक दुल्हन जो सज के खड़ी थी,
अवनि से मिलने अंबर थी आतुर,
किरणों से शोभित डोली सजी,
फूलों के गहनों से महक रही। 

पैरों में ऐसे बज रही थीं पायल,
बागों में गुंजन कर रहा था भँवरा
रंग बिरंगी तितली थी उड़ती, 
दुल्हन के वसन में रंग वो भरती। 

दुल्हन की मीठी बोली सुन सुन, 
कोयल भी कू- कू करती है संग, 
होठों की लाली दमक रही थी ऐसे, 
बागों में खिली गुलाब की कलियाँ जैसे। 

लाल सुर्ख जोड़े में चमक रही थी आभा ऐसे, 
सूर्य की लालिमा से चमक रहा हो अंबर जैसे, 
नए सपने, नई जिंदगी की ओर बढ़ रही है दुल्हन, 
नव प्रभात, नव बेला में जग रहे हैं सब। नई किरण, नई दुल्हन संग  Zindagi Calling You Garima Grover PRATIK BHALA (pratik writes) J P Lodhi. Priya Gour
sumankumar5999

Dr SONI

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