मेरे अतीत के पन्नों को तेरा नाम देते देते मन भर गया है है ज़ुबां खामोश सी लफ्ज़ अधूरे से कुछ बसेरा लेके यादों का मेरे अश्कों की नौका से पतवार भी थक सा गया है हा मन भर सा गया है वो खुदगर्ज बातें वो बेजुबा लम्हे वो सर्द राते वो अनकही मुलाकाते मानो कह रही ये सब मुझसे छोड़ कर पीछे तू चला चल आगे है मुसाफ़िर बहुत तेरे आने के इंतजार में सोच कर ये सब कहता है ये जय अब मन भर गया है✍️✍️ मेरी कलम✍️✍️ मन भर गया है कभी-कभी ऐसी भी अवस्था आती है जब किसी कारण से मन भर जाता है। मन की इसी अवस्था का वर्णन अपनी रचना में करें। Collab करें YQ DIDI के साथ। #मनभरगयाहै #collab