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असली दुनिया अब अलग हो रही हरे और नीले रंग से धूसर,

असली दुनिया अब अलग हो रही
हरे और नीले रंग से धूसर, काला और राख मे बदल रही। 
नित प्रकृति रूदन कर रही, न जाने क्यु मानवता मर रही। 
आधुनिकता की इस होड़ मे प्रकृति निरंतर सिकुड़ती जा रही। 
जानवर मर रहे! पेड़ रो रहे!  
क्या? ये मानव जाति उनको कराहते हुए सुन पा रही। 
निरंतर वायु मंडल धूल दूषित तो नदियाँ अपना अस्तित्व खोती जा रहीं 
यू ही मानव की पशुता हर तरफ छा रही। 
प्रकृति भी अपना रौद्र रूप दिखा रही, 
नित नवीन बीमारियां आ रही। 
मान्वोचित नित बदल रही
   एसी मे बैठने वालो से प्रकृति प्रेम लिखवा रही। 
बहुत सी प्रजातियाँ निरंतर विलुप्त होती जा रही 
न जाने क्यु नही मानवता शर्मशार हो रही।।   
          स्वरचित (सचिन)

©Sachin Singh #nojoto
#nojotoenglish
#nojotohindi 
#save_nature

#ColdMoon
असली दुनिया अब अलग हो रही
हरे और नीले रंग से धूसर, काला और राख मे बदल रही। 
नित प्रकृति रूदन कर रही, न जाने क्यु मानवता मर रही। 
आधुनिकता की इस होड़ मे प्रकृति निरंतर सिकुड़ती जा रही। 
जानवर मर रहे! पेड़ रो रहे!  
क्या? ये मानव जाति उनको कराहते हुए सुन पा रही। 
निरंतर वायु मंडल धूल दूषित तो नदियाँ अपना अस्तित्व खोती जा रहीं 
यू ही मानव की पशुता हर तरफ छा रही। 
प्रकृति भी अपना रौद्र रूप दिखा रही, 
नित नवीन बीमारियां आ रही। 
मान्वोचित नित बदल रही
   एसी मे बैठने वालो से प्रकृति प्रेम लिखवा रही। 
बहुत सी प्रजातियाँ निरंतर विलुप्त होती जा रही 
न जाने क्यु नही मानवता शर्मशार हो रही।।   
          स्वरचित (सचिन)

©Sachin Singh #nojoto
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Sachin Singh

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