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ख़्वाब इक उनके ही आँखों में बसा करते हैं रत-जगे हो

ख़्वाब इक उनके ही आँखों में बसा करते हैं
रत-जगे हों भी तो बस वो ही दिखा करते हैं

ये शब-ओ-रोज़ नहीं  यूँ  ही चराग़ाँ है सनम
शम्अ बन कर  तिरी यादों में  जला करते हैं

रूठा रूठा सा है अब चाँद फ़लक का हमसे
क्यूँ कि हम  चाँद जमीं पर है, कहा करते हैं

प्यार में  जिस्म से  आती है  गुलों-सी खुशबू
लोग  लम्हों  के   ख़याबाँ  में   रहा  करते  हैं

हम को मालूम न मस्कन या ठिकाना अपना 
हम तो बस इश्क़ में गुम-गश्ता फिरा करते हैं

©Parastish
  शब-ओ-रोज़= रात और दिन
ख़याबाँ= बाग़
मस्कन= घर 
गुम-गश्ता= गुम-शुदा, खोया हुआ

#ghazal #sher #Shayari #parastish #Quotes #Poetry
pooja7092330500628

Parastish

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Super Creator

शब-ओ-रोज़= रात और दिन ख़याबाँ= बाग़ मस्कन= घर गुम-गश्ता= गुम-शुदा, खोया हुआ #ghazal #sher #Shayari #parastish #Quotes Poetry

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