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इश्क इश्क का कैसा रंग चढ़ा मुझ पर, मैं अक्ल से..

इश्क 

इश्क का कैसा रंग चढ़ा मुझ पर,
मैं अक्ल से... 
खुद को बचा कर बैठी थी।
अक्ल भी इश्क का ,
गुलाम हो गया.....

डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि '

©shuchi
  #इश्क #कविता #प्यार
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shuchi

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इश्क कविता प्यार

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