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सृष्टि के संहारक और पालक देवाधिदेव महादेव भगवान सा

सृष्टि के संहारक और पालक देवाधिदेव महादेव भगवान साक्षात महाकाल हैं-भगवान शिव शक्ति के आराध्य देव माने जाते हैं-गायत्री मंजरी में वर्णन मिलता है कि शिव आदियोगी हैं-योग के सभी भेदों का गूढ़ ज्ञान शिव को प्राप्त है-शिव के साथ शक्ति का प्रादुर्भाव होता है इसलिए शिव और शक्ति सदैव साथ रहते हैं. पृथ्वी की प्रथम एवं सबसे बड़ी शक्ति गायत्री माता हैं-गायत्री को महाकाली भी कहा गया है- शिव गायत्री योग ? आत्मा की उन्नति के लिए परम आवश्यक है- गायत्री मंत्र शिव की आराधना शक्ति है। 
रूद्र गायत्री मंत्र:
ॐ सर्वेश्वराय विद्महे, शूलहस्ताय धीमहि | तन्नो रूद्र प्रचोदयात् ||
 "हे सर्वेश्वर भगवान ! आपके हाथ में त्रिशूल है -मेरे जीवन में जो शूल है, कष्ट है ,वो आपके कृपा से ही नष्ट होंगे-मैं आपकी शरण में हूँ "..  !

शिव गायत्री मंत्र :
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 45 से 55 नाम 

45 धातुरुत्तमः अनंतादि अथवा सबको धारण करने वाले हैं
46 अप्रमेयः जिन्हे जाना न जा सके
47 हृषीकेशः इन्द्रियों के स्वामी
48 पद्मनाभः जिसकी नाभि में जगत का कारण रूप पद्म स्थित है
49 अमरप्रभुः देवता जो अमर हैं उनके स्वामी
50 विश्वकर्मा विश्व जिसका कर्म अर्थात क्रिया है
51 मनुः मनन करने वाले
52 त्वष्टा संहार के समय सब प्राणियों को क्षीण करने वाले
53 स्थविष्ठः अतिशय स्थूल
54 स्थविरो ध्रुवः प्राचीन एवं स्थिर
55 अग्राह्यः जो कर्मेन्द्रियों द्वारा ग्रहण नहीं किये जा सकते

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' सृष्टि के संहारक और पालक देवाधिदेव महादेव भगवान साक्षात महाकाल हैं-भगवान शिव शक्ति के आराध्य देव माने जाते हैं-गायत्री मंजरी में वर्णन मिलता है कि शिव आदियोगी हैं-योग के सभी भेदों का गूढ़ ज्ञान शिव को प्राप्त है-शिव के साथ शक्ति का प्रादुर्भाव होता है इसलिए शिव और शक्ति सदैव साथ रहते हैं. पृथ्वी की प्रथम एवं सबसे बड़ी शक्ति गायत्री माता हैं-गायत्री को महाकाली भी कहा गया है- शिव गायत्री योग ? आत्मा की उन्नति के लिए परम आवश्यक है- गायत्री मंत्र शिव की आराधना शक्ति है। 
रूद्र गायत्री मंत्र:
ॐ सर्वेश्वराय विद्महे, शूलहस्ताय धीमहि | तन्नो रूद्र प्रचोदयात् ||
 "हे सर्वेश्वर भगवान ! आपके हाथ में त्रिशूल है -मेरे जीवन में जो शूल है, कष्ट है ,वो आपके कृपा से ही नष्ट होंगे-मैं आपकी शरण में हूँ "..  !

शिव गायत्री मंत्र :
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
सृष्टि के संहारक और पालक देवाधिदेव महादेव भगवान साक्षात महाकाल हैं-भगवान शिव शक्ति के आराध्य देव माने जाते हैं-गायत्री मंजरी में वर्णन मिलता है कि शिव आदियोगी हैं-योग के सभी भेदों का गूढ़ ज्ञान शिव को प्राप्त है-शिव के साथ शक्ति का प्रादुर्भाव होता है इसलिए शिव और शक्ति सदैव साथ रहते हैं. पृथ्वी की प्रथम एवं सबसे बड़ी शक्ति गायत्री माता हैं-गायत्री को महाकाली भी कहा गया है- शिव गायत्री योग ? आत्मा की उन्नति के लिए परम आवश्यक है- गायत्री मंत्र शिव की आराधना शक्ति है। 
रूद्र गायत्री मंत्र:
ॐ सर्वेश्वराय विद्महे, शूलहस्ताय धीमहि | तन्नो रूद्र प्रचोदयात् ||
 "हे सर्वेश्वर भगवान ! आपके हाथ में त्रिशूल है -मेरे जीवन में जो शूल है, कष्ट है ,वो आपके कृपा से ही नष्ट होंगे-मैं आपकी शरण में हूँ "..  !

शिव गायत्री मंत्र :
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 45 से 55 नाम 

45 धातुरुत्तमः अनंतादि अथवा सबको धारण करने वाले हैं
46 अप्रमेयः जिन्हे जाना न जा सके
47 हृषीकेशः इन्द्रियों के स्वामी
48 पद्मनाभः जिसकी नाभि में जगत का कारण रूप पद्म स्थित है
49 अमरप्रभुः देवता जो अमर हैं उनके स्वामी
50 विश्वकर्मा विश्व जिसका कर्म अर्थात क्रिया है
51 मनुः मनन करने वाले
52 त्वष्टा संहार के समय सब प्राणियों को क्षीण करने वाले
53 स्थविष्ठः अतिशय स्थूल
54 स्थविरो ध्रुवः प्राचीन एवं स्थिर
55 अग्राह्यः जो कर्मेन्द्रियों द्वारा ग्रहण नहीं किये जा सकते

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' सृष्टि के संहारक और पालक देवाधिदेव महादेव भगवान साक्षात महाकाल हैं-भगवान शिव शक्ति के आराध्य देव माने जाते हैं-गायत्री मंजरी में वर्णन मिलता है कि शिव आदियोगी हैं-योग के सभी भेदों का गूढ़ ज्ञान शिव को प्राप्त है-शिव के साथ शक्ति का प्रादुर्भाव होता है इसलिए शिव और शक्ति सदैव साथ रहते हैं. पृथ्वी की प्रथम एवं सबसे बड़ी शक्ति गायत्री माता हैं-गायत्री को महाकाली भी कहा गया है- शिव गायत्री योग ? आत्मा की उन्नति के लिए परम आवश्यक है- गायत्री मंत्र शिव की आराधना शक्ति है। 
रूद्र गायत्री मंत्र:
ॐ सर्वेश्वराय विद्महे, शूलहस्ताय धीमहि | तन्नो रूद्र प्रचोदयात् ||
 "हे सर्वेश्वर भगवान ! आपके हाथ में त्रिशूल है -मेरे जीवन में जो शूल है, कष्ट है ,वो आपके कृपा से ही नष्ट होंगे-मैं आपकी शरण में हूँ "..  !

शिव गायत्री मंत्र :
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।