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Freedom आज फिर निकला नही मेहताब क्यों ? गर्त हो ज

Freedom 
आज फिर निकला नही मेहताब क्यों ?
गर्त हो जाते हैं सारे ख़्वाब क्यों ?

यूँ तो दिखते ख़ूबसूरत हैं बौहत,
नोख रखते हैं मगर मेहराब क्यों ?

जब ख़याल आए तुझे छूने का तब,
हाँथ खींचे हैं मेरे आसाब क्यों ?

था कभी शीरीं-दहन उसका मगर,
अब उगलती है ज़ुबाँ तेज़ाब क्यों ?

हिज्र में तो दिल ने खाए थे ज़ख़म,
आँख से बहता है फिर सैलाब क्यों ?

है नगीने इस जहाँ में बेशुमार,
पर वो एक पत्थर ही है नायब क्यों ?

कुछ तो "सैय्यद" की भी ग़लतियाँ होंगी,
वरना रिश्ते तोड़ते अर्बाब क्यों ?

@thepoeticprint_rekhta
S.A.Ali A bit of urdu shayri.
If you get the meaning
of my lines and the feelings,
please drop a comment .
Also for more ,
please connect to me on Instagram at
@thepoeticprint_rekhta
❤️❤️❤️❤️
Freedom 
आज फिर निकला नही मेहताब क्यों ?
गर्त हो जाते हैं सारे ख़्वाब क्यों ?

यूँ तो दिखते ख़ूबसूरत हैं बौहत,
नोख रखते हैं मगर मेहराब क्यों ?

जब ख़याल आए तुझे छूने का तब,
हाँथ खींचे हैं मेरे आसाब क्यों ?

था कभी शीरीं-दहन उसका मगर,
अब उगलती है ज़ुबाँ तेज़ाब क्यों ?

हिज्र में तो दिल ने खाए थे ज़ख़म,
आँख से बहता है फिर सैलाब क्यों ?

है नगीने इस जहाँ में बेशुमार,
पर वो एक पत्थर ही है नायब क्यों ?

कुछ तो "सैय्यद" की भी ग़लतियाँ होंगी,
वरना रिश्ते तोड़ते अर्बाब क्यों ?

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S.A.Ali

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