ठहरीं पलकें, विस्मित नयन झांकते तुझे-मुझे, एक दूजे को, जीवन भर के लिए मांगते तुझे-मुझे। कहे प्रेम का अनुराग, बसकर नयनों में तेरे-मेरे, अनुरोध नयनों का, समर्पित होना है तुझे-मुझे।। ......सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' ❤️❤️